Sai Baba Aarti

Sai Baba Aarti

सांई रहम नजर करना

1. सांई रहम नजर करना, बच्चों का पालन करना ।। धु0 ।।
जाना तुमने जगत्पसारा, सबही झूठ जमाना ।। साई0 ।। 1 ।।
मैं अंधा हूँ बंदा आपका, मुझको प्रभु दिखलाना ।। साई0 ।। 2 ।।
दास गनू कहे अब क्या बोलूं, थक गई मेरी रसना ।। साई0 ।। 3 ।।
2. रहम नजर करो, अब मोरे साई, तुम बिन नहीं मुझे माँ बाप भाई ।। धु0 ।।
मैं अंधा हूँ बंदा तुम्हारा ।।  मैं ना जानूं अल्लाइलाही ।। 1 ।।
खाली जमाना मैंने गमाया, साथी आखिर का किया न कोई इलाही ।। 2 ।।
अपने मस्जिद का झाडू गनू है ।  मालिक हमारे, तुम बाबा साई ।। 3 ।।
3. तुज काय देऊं सावळ्या मी खाया तरी, मी दुबली बटिक नाम्याची जाण श्रीहरी ।
उच्छिष्ट तुला देणें ही गोष्ट ना बरी, तूं जगन्नाथ, तुज देऊँ कशी रे भाकरी ।
नको अंत मदीय पाहूं सख्या भगवंता ।  श्रीकांता ।
माध्यान्हरात्र उलटोनि गेली ही आतां ।  आण चित्ता ।
होईल तुझा रे कांकडा की राउळांतरीं ।  आणतील भक्त नैवेघ हीनानापरी ।।
4. श्री सदगुरु बाबासाई तुजवांचुनि आश्रय नाही, भूतली ।। धु0 ।।
मी पापी पतित धीमंदा ।  तारणें मला गुरुनाथा, झडकरी ।। 1 ।।
तूं शांतिक्षमेचा मेरु ।  तूं भवार्णवींचें तारुं, गुरुवरा ।। 2 ।।
गुरुवस मजसि पामरा, अतीं उद्घरा, त्वरिक लवलाही, त्वरित लवलाही,
मी बुडतों भवभय डोही उद्घरा ।। श्री सदगु0 ।। 3 ।।

तुने मुझे बुलाया साईनाथ रे

तुने मुझे बुलाया साईनाथ रे
तुने मुझे बुलाया साईनाथ रे
में आया में आया साईनाथ रे
ओ साई राम रे, ओ साई श्याम रे, ओ साई राम रे…….तुने…
सरे जगत का तू हे दाता,
हम भक्तों का भाग्या विधाता
तेरे दर्शन को पाने को (२)
चलते चलते आया साई नाथ रे…..में आया……
लाखों की तुने बिगड़ी बनायीं
शिर्डी की तुने आस लगे
भूखे को साई खाना देता
प्यासे की बाबा प्यास बुजाता
तू हे अक्षय दाता साई नाथ रे……..में आया…
पापी हो या, या हो पुजारी
राजा हो या रंक भिखारी
सबको तुने गले लगाया
बाबा दिन दयालु साई नाथ रे….में आया…
तुम को पता हे अन्तर्यामी
जाग उठो शिर्डी के स्वामी
तुमको अर्पण की मैंने
ये माटी की काया साई नाथ रे…में आया….
अरे प्रेम से बोलो जय साई की
अरे सरे बोलो जय साई की
अरे मिलकर बोलो जय साई की
अरे साई गून गाओ जय साई की
अरे हरी गुण गाओ जय साई की
अरे प्यारा नाम जय साई की
अरे सुन्दर नाम जय साई की
अरे कष्ट मिटाए जय साई की
अरे दुःख हर ले जय साई की
अरे सबका मालिक जय साई की…..

चाहे श्याम कहो भगवन कहो

साई राम कृष्ण रहमान साई गीता वेद पुराण
चाहे राम कहो रेहमान कहो
चाहे श्याम कहो भगवन कहो
मेरा साई सभी मैं समाया, सब पर उसकी छाया
साई राम कृष्ण
साई के दरबार मैं देखा, कोई नही है पराया
जो भी उनकी शरण मैं आया, सबको गले लगाया
चाहे कृष्ण कहो या करीम कहो
चाहे राम कहो या रहीम कहो…मेरा साई
दुनिया भर के सब संतो मैं, हैं साई की वाणी
जो भी सुनता उसको लगती अपनी राम कहानी
चाहे सुर की हो चाहे मीरा की
चाहे नानक की या कबीरा की…..मेरा साई
मुसलमान हो हिंदू, सिख हो सब साई के प्यारे
जैन बुध हो या इसाई सब आंखों के तारे
गीता को पढो या कुरान पढों
गुरुबानी पढों या कुरान पढों…. मेरा साई
जहाँ जहाँ मैं जाता साई
जहाँ जहाँ मैं जाता साई
गीत तुम्हारे गाता, गीत तुम्हारे गता
मेरे मन मन्दिर मैं साई, तुमने ज्योत जगाई
बिच भवर में उल्जी नैया, तुमने पार लगाई
इस दुनिया के दुखियारों से,तुमने जोड़ा नाता
मैं गीत तुम्हारे
साई मेरे तुम ना होते, देता कौन सहारा
इस दुनिया की डगर डगर पर, फिरता मारा मारा
जिसको किस्मत ठुकरा देत, तू उसके भाग जगाता,
मैं गीत तुम्हारे
मस्जिद मन्दिर गुरुद्वारे मैं, साई तुम्ही समाये
गंगाजल और आबे जाम जाम, तुमने एक बनायें,
मेरी बिनती सुन लो बाबा, कबसे तुम्हे बुलाता,
मैं गीत तुम्हारे

जैसे ही है अब है साई

जैसे ही है अब है साई हम तो तेरे है(२)
तेरे रंग में रंगे हमारे
सांज सवेरे है….बाबा
तेरे बारे मैं कहेते है शिर्डी वाले लोग
तुने जिसको छुआ न आया उसका कोई रोग
तुने ही हर दिन दखी के दुर्दिन फेरे है ……बाबा
दूर दूर से लोग हजारों आते तेरे द्वार
जो भी तेरे द्वारे आया पाया उसने प्यार,
तेरे डर वो जहांसे कोसो दूर अंधेरे है…बाबा
जहाँ जहाँ पूजा हो तेरी वहा ना दुःख का काम
कोई करे सलाम तुजे तो कोई करे प्रणाम
उनको हर पल सुख जो तेरी मला फेरे है….बाबा

खबर लो हमारी

खबर लो हमारी, दया हो तुम्हारी, सुनो साईबाबा;
पिलादो, पिलादो प्रेम का प्याला, करो पूरी आशा
खबर लो….
शिर्डी मैं साईनाथ्की होती है रोज आरती
कहते है सदगुरु सभी भजते है सारे भारती
इसलाम, हिन्दू, पारसी निस्वार्थी,स्वार्थी
भाविक है जितने आदमी, सबका है तू महात्मा
खबर लो….
एक रोगी महारोगी था, चरणों नाथ के गिरा,
बोला मेरा करो भला, बाबा को आ गयी दया,
थोडी सी खाख के दिया, प्रसाद भक्त ने लिया,
विश्वास का ये फ़ल मिला, रोगी निरोगी हो गया.
खबर लो….
सदगुरु का एक भक्त था, एक मित्र उसका था बुरा,
बोला जिसे तू मानता, क्या उसकी पास है धारा,
निंदक की हो गई दशा, चोरों के हाथ लूट गया,
जब उसने मांग ली क्षमा, चोरी का माल मिल गया.
खबर लो….
अगसर बड़े बड़े है साधन, करते है नाथ का भजन,
भक्ति मैं रहते है मग्न , कलियुग के नाथ है मोहन,
है सत्य पूरण ये वचन, छु ले जो नाथ के चरण,
हो जाये सारे दुःख हरण, सुख पाए उसकी आत्मा.
खबर लो….

ओंवाळूं आरती माइया सदगुरुनाथा

ओंवाळूं आरती माइया सदगुरुनाथा, माइया साईनाथा ।।
पांचाही तत्वांचा दीप लाविला आतां ।।
निर्गुणाची स्थिति कैसी आकारा आली । बाबा आकारा आली ।
सर्वा घटीं भरुनि उरली सांई माउली ।। ओंवाळूं 0 ।।
रज तम सत्व तिघे माया प्रसवली । बाबा माया प्रसवली ।
मायेचिये पोटीं कैसी माया उद्घवली ।। ओंवाळूं 0 ।।
सातसागरी कैसा खेळ मांडीला । बाबा खेळ मांडीला ।
खेळूनियां खेळ अवघा विस्तार केला ।। ओंवालूं 0 ।।
ब्रहांडींची रचना दाखविली डोळां । बाबा दाखविली डोळां ।
तुका म्हणे माझा स्वामी कृपाळू भोळा ।। ओंवाळू 0।।

आरती ज्ञानरायाची

आरती ज्ञानरायाची -आरती ज्ञानराजा ।  महाकैवल्यतेजा ।
सेविती साधुसंत ।  मनु वेधला माझा ।।
लोपलें ज्ञान जगीं ।  हित नेणती कोणी ।
अवतार पांडुरंग ।  नाम ठेविलें ज्ञानी ।।आरती ज्ञानराजा 0।।
कनकाचें ताट करीं ।  उभ्या गोपिका नारी ।
नारद तुंबरहो ।  सामगायन करी ।। आरती ज्ञानराजा 0।।
प्रगट गुहृ बोले ।  विश्व ब्रहचि केलें ।
राम जनार्दनी ।  पायीं मस्तक ठेविलें ।। आरती ज्ञानराजा 0।।

जय जय साईनाथ आतां

जय जय साईनाथ आतां पहुडावें मंदिरीं हो ।।  (x2)
आळवितों सप्रेमें तुजला आरति घेउनि करीं हो ।। जय 0 ।
रंजविसी तूं मधुर बोलुनी माय जशी निज मुला हो ।।(x2)
भोगिसि व्याधी तूंच हरुनियां निजसेवकदःखाला हो ।। (x2)
धांवुनि भक्तव्सन हरिसी दर्शन देसी त्याला हो ।।(x2)
झाले असतील कष्ट अतिशय तुमचे या देहाला हो ।। जय 0 ।
क्षमा शयन सुंदर ही शोभा सुमनशेज त्यावरी हो । (x2)
ध्यावी तोडी भक्त-जनांची पूजनादि चाकरी हो ।। (x2)
ओंवाळीतों पंच्राण, ज्योति सुमती करीं हो ।। (x2)
सेवा किंकर भक्त प्रीती अत्तर परिमळ वारी हो ।। जय 0 ।
सोडुनि जाया दुःख वाटतें साई त्वच्चर णांसी हो । (x2)
आज्ञेस्तव तव आशीप्रसाद घेउनि निजसदनासी हो ।।(x2)
जातों आतां येऊं पुनरपि त्वच्चरणाचे पाशीं हो । (x2)
उठवूं तुजला साइमाउले निजहित सादायासी हो ।। जय 0 ।

आतां स्वामी सुखें निद्रा

आतां स्वामी सुखें निद्रा करा अवधूता । बाबा करा साइनाथा ।।
चिन्मय हें सुखधामा जाउनि देवा पहुडा एकांता ।।
वैराग्याचा कुंचा घेउनि चौक झाडीला । बाबा चौक झाडीला ।।
तयावरी सुप्रेमाचा शिडकावा दिधला ।। आतां 0 ।।
पायघडया घातल्या सुंदर नवविधा भक्ती । बाबा नवविधा भक्ती ।।
ज्ञानाच्या समया लावुनि उजळल्या ज्योती ।। आतां 0 ।।
भावार्थाचा मंचक हृदयाकाशी टांगिला । बाबा काशीं टांगिला ।।
मनाचीं सुमनें करुनी केलें शेजेला ।। आतां 0 ।।
द्घैताचें पाट लावुनि एकत्र केलें । बाबा एकत्र केलें ।।
दुर्बुद्घीच्या गांठी सोडूनि पडदे सोडीले ।। आतां 0 ।।
आशा तृष्णा कल्पनेचा सांडुनि गलबला । बाबा सांडुनि गलबला ।।
दया क्षमा शांति दासी उभ्या सेवेला ।। आतां 0 ।।
अलक्ष्य उन्मनी घेउनी बाबा नाजुक दुःशाला । बाबा नाजुक दुःशाला ।।
निरंजन सदगुरु स्वामी निजवीले शेजेला ।। आतां 0 ।।
।। सच्चिदानद सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय ।।
 ।। श्री गुरुदेव दत्त ।।

पद, प्रसाद मिळाल्यावर

 पावला प्रसाद आतां विठो निजावें । बाबा आता निजावे ।
आपला तो श्रम कळों येतसे भावें ॥
आतां स्वामी सुखें निद्रा करा गोपाळा । बाबा साई दयाला।
पुरलें मनोरथ जातों आपुल्या स्थळा ॥तुम्हांसी जागवूं आम्हीं आपुलिया चाडा । बाबा आपुलिया चाडा ।
शुभाशुभ कर्मे दोष हरावया पीडा ॥ आतां स्वामी 0।।तुका म्हणे दिधलें उच्छिष्टाचें भोजन । उच्छिष्टाचें भोजन ।
नाहीं निवडिलें आम्हां आपुलिया भिन्न ॥ आतां स्वामी 0।।

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