About SaiBaba

शिरडी के सांई बाबा(SaiBaba)

साईं बाबा (२८ सितंबर१८३५– १५ अक्‍तूबर१९१८), एक भारतीय संत एवं गुरू हैं जिनका जीवन शिरडी में बीता। उन्होंने लोक कल्याणकारी कार्यों को किया तथा जनता में भक्‍त‍ि एवं धर्म की धारा बहाई। इनके अनुयायी भारत के सभी प्रांतों में हैं एवं इनकी मृत्यु के लगभग ९०० वर्षों के बाद आज भी इनके चमत्कारों को सुना जाता है।

सांई बाबा की शिक्षा

सबका मालिक एक है
साई बाबा की सबसे बड़ी शिक्षा और सन्देश है कि जाति, धर्म, समुदाय, आदि व्यर्थ की बातों में ना पड़कर आपसी मतभेद भुलाकर आपस में प्रेम और सदभावाना से रहना चाहिए क्योकि सबका मलिक एक है।
श्रद्धा और सबूरी
साई बाबा ने अपने जीवन में यह सन्देश दिया है कि हमेशा श्रद्धा और विश्‍वास के साथ जीवन यापन करते हुए सबूरी (सब्र)के साथ जीवन व्यतीत करें।
मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है
साई बाबा ने कभी भी किसी को धर्म की अवहेलना नहीं की अपितु सभी धर्मों का सम्मान करने की सलाह देते हुए हमेशा मनवता को ही सबसे बडा धर्म और कर्म बताते हुए जीवन जीने की अमूल्य शिक्षा प्रदान की है।
जातिगत भेद भुला कर प्रेम पूर्वक रहना
साई बाबा ने कहा है की जाति,समाज,भेद-भाव,आदि सब बाते ईश्‍वर ने नहीं बल्कि इंसानों द्वारा बनाया गया हैं इसलिए ईश्‍वर की नजर में न तो कोई उच्च है और न ही कोई निम्न इसलिए जो काम ईश्‍वर को भी पसंद नहीं है वह मनुष्यों को तो करना ही नहीं चाहिए। अर्थात जात-पात,धर्म,समाज आदि मिथ्या बातों में न पड़ कर आपस मे प्रेमपूर्वक रहकर जीवन व्यतीत करना चाहिए।
गरीबो और लाचार की मदद करना सबसे बड़ी पूजा है
साई बाबा ने हमेशा ही सभी जनमानस से यही बार-बार कहा है कि सभी के साथ ही समानता का व्यवहार करना चाहिए। गरीबों और लाचारों की यथासम्भव मदद करना चाहिए और यही सबसे बडी पूजा है। क्योकि जो गरीबों, लाचारों की मदद करता है ईश्वर उसकी मदद करता है।
माता-पिता, बुजुर्गो, गुरुजनों, बडो का सम्मान करना चाहिए
साई बाबा हमेशा ही समझाते थे कि अपने से बडो का आदर सम्मान करना चाहिए। गुरुजनो बुजर्गो को सम्मान करना जिसस उनका आर्शीवाद प्राप्त होता है जिससे हमारे जिवन की मुश्किलों मे सहायता मिलती है।
साई बाबा की जय हो

साई बाबा का चरित्र

साई बाबा सर्व समर्थ हो कर भी हमेशा अपना जीवन सीमित साधनों द्वारा ही व्यतीत किए और सभी जनमानस को सादगी एवं सरल जीवन व्यतीत करना सिखाएं। क्योकि सरलता पूर्वक ही इस संसार मे प्रभु को प्राप्त किया जा सकता है। सांई हमेशा ही आडम्बरो से मुक्त रह कर यह बताते थे कि आडम्बरो मे ही अहंकार की भवना निहित होती है। इसलिए अगर मुक्त होना चाहते हो सबसे पहले स्वयं को आडम्बरो से छुटकारा पाना होगा।
सांई बाबा जो हमेशा ही यही कोशिश करते रहें की जनमानस क ह्रदयपटल मे से समाज मे व्याप्त सामाजिक कुरितीयों का नाश हो और सभी प्रेम पूर्वक रह कर जीवन का आनंद ले क्योंकि हमारे भारतवर्ष में कितने ही धर्म जाति के लोग व उनके समुदाय बसे हुए हैं।और सभी अपने धर्म को श्रेष्ट बताते हुए आपस मे मतभेद रखते हैं। और जिसका परिणाम सिवाय समाजिक अराजकता और दन्गे के रुप मे सामने आते है। इसिलिए बाबा ने हमेशा ही यह कह कर की “सबका मालिक एक” गुरुमंत्र दिया है।

No comments:

Post a Comment